समाज में विधवा महिलाओं के पुनर्विवाह को लेकर कई तरह के विचार और रूढ़िवादी मान्यताएं हैं। इनमें से एक मान्यता यह भी है कि विधवा महिला को अपने देवर से विवाह करना चाहिए। लेकिन यह निर्णय लेने से पहले कई महत्वपूर्ण बातों पर विचार करना आवश्यक है।
विवाह का निर्णय लेने से पहले विचारणीय बातें:
- व्यक्तिगत इच्छा: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विधवा महिला स्वयं क्या चाहती है। उसे यह निर्णय स्वयं लेना चाहिए कि वह पुनर्विवाह करना चाहती है या नहीं और यदि हाँ, तो किसके साथ।
- समाज का दबाव: कई बार समाज, परिवार या रिश्तेदार विधवा महिला पर पुनर्विवाह करने का दबाव डालते हैं, खासकर देवर से। ऐसे में महिला को अपने निर्णय पर दृढ़ रहना चाहिए।
- भावनात्मक लगाव: क्या महिला देवर के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है? क्या यह रिश्ता प्यार और सम्मान पर आधारित है?
- समाज और परिवार का समर्थन: क्या परिवार और समाज इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे? क्या उन्हें कोई सामाजिक या धार्मिक आपत्ति है?
- बच्चों का भविष्य: यदि महिला के बच्चे हैं तो उनके भविष्य पर इस विवाह का क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या वे इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे?
- आर्थिक सुरक्षा: क्या देवर महिला और उसके बच्चों की आर्थिक सुरक्षा कर पाएगा?
- भावनात्मक तैयारगी: क्या महिला भावनात्मक रूप से एक नए रिश्ते के लिए तैयार है? क्या वह अपने पिछले दुःख से उबर चुकी है?
धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण
धर्म और समाज के अनुसार विधवा विवाह को लेकर अलग-अलग विचार हैं। कुछ धर्मों और समाजों में विधवा विवाह को स्वीकार किया जाता है, जबकि कुछ में इसे वर्जित माना जाता है। देवर से विवाह के बारे में भी अलग-अलग राय हैं।
विधवा महिला का देवर से विवाह एक व्यक्तिगत निर्णय है और इसे लेने से पहले सभी पहलुओं पर गहराई से विचार करना चाहिए। महिला को किसी भी तरह के दबाव में आकर निर्णय नहीं लेना चाहिए। उसे अपने हृदय और मन की आवाज सुननी चाहिए।